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रामलीला मंचन नहीं होगा अनिल आजाद ने नगरपालिका की कार्यशैली के चलते दी चेतावनी


News Expert - Sushil Sharma 

हापुड़। शहर के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में अवैध कब्जों को लेकर मंगलवार को बड़ा विवाद खड़ा हो गया। रामलीला कमेटी की शिकायत पर नगरपालिका की टीम जब जेसीबी लेकर अतिक्रमण हटाने पहुंची, तो वहां विरोध शुरू हो गया। विरोधियों ने आरोप लगाया कि कार्रवाई महज खानापूर्ति है और केवल चुनिंदा दुकानों को निशाना बनाया जा रहा है।


कैसे भड़का विवाद

जानकारी के मुताबिक, रामलीला कमेटी ने मैदान में फैले अवैध अतिक्रमण की शिकायत नगरपालिका से की थी। शिकायत के बाद राजस्व निरीक्षक सुनील सिंह के नेतृत्व में टीम जेसीबी लेकर मौके पर पहुंची। जैसे ही अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई, मौके पर मौजूद अतिक्रमणकारियों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि केवल पांच दुकानों पर कार्रवाई क्यों, पूरे मैदान से अतिक्रमण हटना चाहिए।


नेताओं ने आग में घी

स्थानीय लोगों का कहना है कि मौके का फायदा उठाते हुए कुछ नेताओं ने भीड़ को भड़काने का काम शुरू कर दिया, जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया। इसी बीच रामलीला कमेटी के अध्यक्ष विनोद वर्मा और संरक्षक अनिल आजाद भी मौके पर पहुंच गए और नगरपालिका टीम से सवाल-जवाब करने लगे।

नगरपालिका पर गंभीर आरोप

रामलीला समिति के संरक्षक अनिल आजाद ने नगरपालिका पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “नगरपालिका अब ‘नरकपालिका’ बन चुकी है। कार्रवाई का दिखावा किया जा रहा है। यदि वास्तव में अतिक्रमण हटाना था तो पुलिस बल को मौके पर क्यों नहीं बुलाया गया? बिना पुलिस के टीम भेजना इस बात का संकेत है कि नगरपालिका विवाद खड़ा करना चाहती है।

अनिल आजाद ने यह भी आरोप लगाया कि नगरपालिका की टीम अतिक्रमणकारियों के साथ मिलीभगत कर रही है। उन्होंने साफ चेतावनी दी कि यदि रामलीला मैदान से अवैध अतिक्रमण पूरी तरह नहीं हटाया गया तो इस बार रामलीला मंचन नहीं किया जाएगा।

कमेटी अध्यक्ष का बयान

कमेटी अध्यक्ष विनोद वर्मा ने कहा “हमने नगरपालिका को अतिक्रमण की शिकायत दी थी। लेकिन कार्रवाई करने के बजाय नगरपालिका की टीम हमसे समझौते का दबाव बनाने लगी। जब हमने समझौता करने से इनकार कर दिया तो खानापूर्ति करने के लिए दूसरी जगह जेसीबी चला दी।”

रामलीला मैदान में अतिक्रमण और उसे हटाने में हो रही लापरवाही को लेकर शहरवासियों और समिति सदस्यों में गहरा असंतोष है। लोगों का कहना है कि वर्षों से रामलीला का मंचन इस मैदान में होता आया है, लेकिन अब बढ़ते अतिक्रमण के कारण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन खतरे में पड़ गए हैं।








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